Wednesday, June 1, 2011

एक कदम - बदलाव की ओर

ऐसे तो समाज में बहुत सारे मुद्दे या विषय हैं जिनके बारे में सोचने और उन पर काम करने की जरुरत है और उनमे से एक अहम मुद्दा है "महिला सशक्तिकरण" का . जब हम एक सशक्त महिला की बात करते हैं तो ;किस तरह की छवि हमारे जेहन में बनती है या फिर यूँ कहें की एक सशक्त महिला कैसी होनी चाहिए तो निश्चित तौर पर हमारे विचार और हमारे जेहन में मौजूद छवि भिन्न-भिन्न होगी जो वास्तविकता है पर फिर भी अगर हम एक आदर्श चित्रण करें तो हम पाएंगे कि एक सशक्त महिला सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक तौर पर स्वतंत्र  हो और इन सभी क्षेत्रों में वो स्वावलंबी हो.

पर क्या सामाजिक , आर्थिक और राजनैतिक रूप से मजबूत कोई महिला हो सकती है जब तक कि उसे अपने हक़ और अधिकार की जानकारी ही न हो शायद हममे से बहुतों का जवाब होगा नहीं ऐसे में जरूरी है कि उन महिलाओं को उनके हक़ और अधिकार के बारे में जानकारी दी जाये.

ग्रामीण परिवेश में रह रही पिछड़ी महिलाओं को , जिनका सारा समय खेतों में काम करने से लेकर घर की देखभाल में गुज़र जाता है , ना ही उनकी शिक्षा इस स्तर की है कि वो खुद से पढ़ सकें और अपने अधिकारों के बारे में जान सकें, इसके अलावां एक और अड़चन भी है जो उन्हें आगे आने से रोकती है और वो है पुरुष प्रधान समाज की दकियानूसी परंपरा हालाकी शहरी क्षेत्रों में इसकी महत्ता काफी हद तक कम हो गई है पर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी इसकी जड़ें काफी मजबूत हैं और इसी धारणा को दरकिनार कर महिलाओं को आगे लाने और उन्हें सशक्त बनाने की एक सराहनीय पहल "UNDP-IKEA" द्वारा "महिला सशक्तिकरण परियोजना" के माध्यम से की जा रही है.  समूह के माध्यम से महिलाओं को एक मंच पर लाना सामाजिक पहचान दिलाना, छोटी-छोटी बचत करवा कर आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करने से लेकर पंचायती चुनाव में उनकी ज्यादा से ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करना और राजनितिक पटल पर उनकी  छवि को सुदृढ़ करना परियोजना का मुख्य हिस्सा है.
 इसी के तहत इन महिलाओं को ;उनके हक़ अधिकार की जानकारी के साथ-साथ महिलाओं के विकास सम्बन्धी विभिन्न तरह की योजनाओं , कानूनों की जानकारी देने के उद्देश्य से UNDP (UNITED NATIONS DEVELOPMENT PROGRAM) के तत्वाधान में सहयोगी संस्था RLEK(RURAL LETIGATION & ENTITLEMENT KENDRA) ने एक प्रशिक्षण का आयोजन किया सौभाग्य से मुझे भी इस प्रशिक्षण का हिस्सा बनने का मौका मिला प्रिशिक्षण के दौरान इन ग्रामीण महिलाओं के साथ समूह में बैठकर उनके मूल अधिकारों , कर्तव्यों के बारे में चर्चा करना विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं की जानकारी का आदान-प्रदान करना और कुछ ज्वलंत मुद्दों जैसे-घरेलू हिंसा, दहेज़ उत्पीडन आदि पर एक लम्बी बहस उनके अनुभवों को सुनना और इन बुराइयों से सम्बंधित कानूनों की जानकारी  देना एक सुखद अनुभव तो था ही पर कहीं न कहीं एस बात की भी  टीस रह रह कर मुझे अन्दर से झंझोड़ रही थी कि हमारे इस लोकतान्त्रिक ढांचे को खड़ा हुए इतने दशक बीत जाने के बाद भी हमारे समाज का कुछ तबका ऐसा भी है जहाँ महिलाओं की स्थिति बदतर और ये देख कर दुःख भी है के इतने उत्पीडन सहज ही पी जाने वाली महिलाओं को अपने हक़ - अधिकारों की जानकारी नाम मात्र की ही है. RLEK  द्वारा महिलाओं को उनके हक़-अधिकारों और उनसे सम्बंधित कानूनों को जमीनी स्तर पर बताना निश्चित तौर पर प्रसंशनीय है और समय के साथ RLEK का ये प्रयास ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगी को रोशन करने में कारगर सिद्ध  होगा.

समय आगे बढ़ता जा रहा है और बढ़ता ही जायेगा पर जरुरी ये है के इस बढ़ाते समय का दमन थामकर बदलाव भी होता रहे बदलाव इन महिलाओं की स्थिति में , बदलाव इनकी सामाजिक चेतना के स्टार पर ,. बदलाव आर्थिक स्वावलंबन की ओर , बदलाव राजनितिक पटल पर नेत्रित्व का . बदलाव हो रहा है और होता रहेगा और जिस दिन ये बदलाव अपने चरम पर पहुंचेगा निश्चित तौर पर इसकी रोशनी से सम्पूर्ण समाज प्रकाशमान होगा और UNDP-IKEA का यह सराहनीय प्रयास मील का पत्थर बनकर आगे की रह को एक निश्चित दिशा प्रदान करेगा. 
                  


                     

VIVEK KUMAR SRIVASTAVA
PROJECT CO-ORDINATOR
9554951250, 8081692336