Sunday, August 7, 2011

ज़िन्दगी-दोस्ती-दोस्त

रिश्तों के बिना ज़िन्दगी की कल्पना करना ठीक वैसा ही है जैसे जल बिना जीवन.

अनगिनत रिश्तों के खुबसूरत मोटी जब विश्वास के अटूट धागे में पिरो दिए जाते हैं तो ज़िन्दगी के हर आयाम खुशियों के एहसास से महक उठते हैं. ऐसे ही रिश्तों में एक रिश्ता है दोस्ती ...
 
 ये वो अनमोल मोती है जिसकी चमक ज़िंदगी के आगाज़ से ज़िंदगी के अंत तक कभी फीकी नहीं पड़ती . हमने स्कूल से लेकर कॉलेज और अपने प्रोफेशन में अनगिनत दोस्त बनाये , कुछ अब भी साथ हैं, कुछ बिछड़ गए , कुछ दूर हैं,मजबूर हैं, पर ख्यालों में मौजूद हैं तो कुछ हमारे अतीत के पन्नों में एक धुंधली सी तस्वीर बन कर रह गए. हममे से बहुत इस बात से इत्तेफाक रखते होंगे कि हमने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ऐसी न जाने कितनी शरारतें स्कूल कालेजों में की जो उस समय क्षम्य  नहीं थीं और शायद आज भी न हों. पर जब हम ब्लैक बोर्ड  पर टीचर्स का कार्टून बनाते या उनके ऊपर उटपटांग कमेन्ट लिखते तो हम ख़ुशी के अलग ही संसार में होते थे. क्लास में छोटी-छोटी चिट पर "क्या पकाऊ लेक्चर है यार " लिखकर एक दूसरे को पास करते और अन्दर ही अन्दर हँसते उस वक़्त हमें इस बात का डर नहीं रहता था कि अगर पकडे गए तो क्या होगा. क्लास बंक करते फ़िल्में देखने जाना, क्लास के बाहर रहकर गप्पे मारना , मस्ती करना , टीचर्स की नक़ल करना और ना जाने कितने नामकरण हमने उन टीचरों के किये . पर अब वो दौर कहाँ वो मस्ती मजाक कहाँ. .. जब कभी हम उदास या परेशान होते तो सबसे पहले हमारे दोस्त ही पूछते " क्या हुआ बे किसने छेड़ दिया" फिर एक लम्बी हंसी का सिलसिला और आधी उदासी स्वतः ही गायब.. पर अब वो बात कहाँ..

जब कभी खट्टी-मीठी शरारतें और गुदगुदा देने वाले वो लम्हे जेहन में आते हैं, मन रोमांच से भर उठता है और बस यही दिल करता है कि सारे दोस्त फिल से मिले और एक बार फिर से वो कहानी दोहराएँ जो बहुत पहले हमने ही लिखी अपनी शरारतों और मस्ती मजाक से....
पर ये भी सच है आज भी हर तरफ एक नयी कहानी गढ़ी जा रही है.........
दोस्तों के साथ, दोस्तों के लिए, दोस्तों के द्वारा और दोस्ती के नाम----

"जब तक जिंदगियां रहेंगी,दोस्ती रहेगी, दोस्त रहेंगे."


Thursday, August 4, 2011

अंजली- एक इंतज़ार

काफी दिनों से इस उधेड़बुन में लगा रहा कि कुछ लिखूं पर लिखता भी क्या? क्या वास्तव में मेरे पास कुछ है लिखने को . कभी-कभी इंसान की ज़िन्दगी में शायद ऐसे भी लम्हे आते हैं कि कहना तो बहुत कुछ चाहता है पर शब्दों या फिर यूँ कहें एहसास से भरे लफ़्ज़ों की कमी महसूस करने लगता है और शब्दों का मायाजाल एक मकडजाल बनकर रह जाता है फिर भी लिख रहा हूँ, लिख भी क्या रहा हूँ बस एक कोशिश कर रहा हूँ. ना जाने कितने ख्याल कितनी बातें और अनगिनत एहसास मन के सागर में गोते खा रहे हैं जो  कभी लहरों के साथ ऊपर दृश्यमान हो जाते हैं तो कभी आख्नों से ओझल, ये एहसास भी किसी जुगनू की भांति हो गए हैं. ये कैसी उलझन है जो सुलझाती ही नहीं पर ये उलझन भी तो मेरी ही रचना है मै ही इसका जन्मदाता और मै ही इसका रचयिता हूँ.


                            आज जो मै कहने की कोशिश कर रहा हूँ काश उस "पल" कह दिया होता तो शायद आज उलझन की इस भंवर में न फंसा होता और ना ही एक असहाय जीव की तरह उस साहिल को देखता जो नज़रों के सामने, पर, मेरी पहुँच से बहुत दूर. पर कर भी क्या सकता हूँ समय की रेत मुट्ठी से निकल जाने के बाद क्या हो सकता है,?  पर उस दिन उस "पल" मैंने बहुत सोच समझ के फैसला लिया था पर आज ऐसा मालूम पड़  रहा है जैसे कभी-कभी इंसान की सोच बी ही उसे धोखा दे जाती है. पर इंसान की सोच का माध्यम भी तो खुद इन्सान होता है तो क्या मैंने अपने को धोखा दे दिया, शायद नहीं अगर ऐसा होता तो आज ये सब कुछ न लिख रहा होता.

कितने साल बीत गए और इतने सालों में मेरी ज़िन्दगी ने कितने उत्तर-चढाव देखे कितने अनुभवों को अपने में आत्मसात करता आया और इतनी दूर चला आया फिर भी मंजिल नहीं दिखाती, कुछ दिखता है तो वो "पल" .  मै हमेशा इस भ्रम में पड़ा रहा कि मैंने उस "पल" को बहुत पीछे छोड़ दिया पर सच तो ये है कि जिस राह को मै चुनता आया उस राह के हर मोड़ पर वो "पल"  मुझे दिखाई देता है शायद तुम्हारी तरह उससे भी एक रिश्ता सा  जुड़ गया है, जो मेरे वर्त्तमान और आने वाले भविष्य में हमेशा मेरे साथ रहेगा. पता है मैंने इतने सालों में उस पर को हमेशा हराने की कोशिश करता रहा पर हर बार परिणाम  सिर्फ एक मेरी हार , दरअसल मै तुम्हे हराने की कोशिश करता रहा और हमेशा हारता रहा, मै हमेशा से यही समझता और विश्वास करता आया कि हर इंसान अपने में पूरा होता है पर हर बार आईने में मै अपने को अधूरा ही पाया  और आज भी हूँ पर इस "पल" के जरिये तुमसे हमेशा जुड़ा रहूँगा इस उम्मीद के साथ कि वो पल कभी आये जब हम मिल सकें.

एक इंतज़ार के साथ............ जो तुम हो तो खिलाता हर रंग है,
                                           जो नहीं तो दुनिया बेरंग है,
                                           ..................................................

                                           जो तुम हो तो इन आंसुओं के भी मायने हैं,
                                           जो नहीं तो ये ज़िन्दगी बेमायने है,................

तुम्हारा ..............