रिश्तों के बिना ज़िन्दगी की कल्पना करना ठीक वैसा ही है जैसे जल बिना जीवन.
अनगिनत रिश्तों के खुबसूरत मोटी जब विश्वास के अटूट धागे में पिरो दिए जाते हैं तो ज़िन्दगी के हर आयाम खुशियों के एहसास से महक उठते हैं. ऐसे ही रिश्तों में एक रिश्ता है दोस्ती ...
ये वो अनमोल मोती है जिसकी चमक ज़िंदगी के आगाज़ से ज़िंदगी के अंत तक कभी फीकी नहीं पड़ती . हमने स्कूल से लेकर कॉलेज और अपने प्रोफेशन में अनगिनत दोस्त बनाये , कुछ अब भी साथ हैं, कुछ बिछड़ गए , कुछ दूर हैं,मजबूर हैं, पर ख्यालों में मौजूद हैं तो कुछ हमारे अतीत के पन्नों में एक धुंधली सी तस्वीर बन कर रह गए. हममे से बहुत इस बात से इत्तेफाक रखते होंगे कि हमने अपने दोस्तों के साथ मिलकर ऐसी न जाने कितनी शरारतें स्कूल कालेजों में की जो उस समय क्षम्य नहीं थीं और शायद आज भी न हों. पर जब हम ब्लैक बोर्ड पर टीचर्स का कार्टून बनाते या उनके ऊपर उटपटांग कमेन्ट लिखते तो हम ख़ुशी के अलग ही संसार में होते थे. क्लास में छोटी-छोटी चिट पर "क्या पकाऊ लेक्चर है यार " लिखकर एक दूसरे को पास करते और अन्दर ही अन्दर हँसते उस वक़्त हमें इस बात का डर नहीं रहता था कि अगर पकडे गए तो क्या होगा. क्लास बंक करते फ़िल्में देखने जाना, क्लास के बाहर रहकर गप्पे मारना , मस्ती करना , टीचर्स की नक़ल करना और ना जाने कितने नामकरण हमने उन टीचरों के किये . पर अब वो दौर कहाँ वो मस्ती मजाक कहाँ. .. जब कभी हम उदास या परेशान होते तो सबसे पहले हमारे दोस्त ही पूछते " क्या हुआ बे किसने छेड़ दिया" फिर एक लम्बी हंसी का सिलसिला और आधी उदासी स्वतः ही गायब.. पर अब वो बात कहाँ..
जब कभी खट्टी-मीठी शरारतें और गुदगुदा देने वाले वो लम्हे जेहन में आते हैं, मन रोमांच से भर उठता है और बस यही दिल करता है कि सारे दोस्त फिल से मिले और एक बार फिर से वो कहानी दोहराएँ जो बहुत पहले हमने ही लिखी अपनी शरारतों और मस्ती मजाक से....
पर ये भी सच है आज भी हर तरफ एक नयी कहानी गढ़ी जा रही है.........
दोस्तों के साथ, दोस्तों के लिए, दोस्तों के द्वारा और दोस्ती के नाम----
"जब तक जिंदगियां रहेंगी,दोस्ती रहेगी, दोस्त रहेंगे."